वीडियो जानकारी: अद्वैत बोध शिविर, 25.04.2020, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत<br /><br />प्रसंग:<br />ऐसा समझना चाहिए, पूर्वकृत कर्मानुसार बने हुए स्वभाव से ही प्राणियों की वर्तमान प्रवृत्तियाँ प्रकट हुई हैं, अत: समस्त प्रजा स्वभाव में ही तत्पर है, उनका दूसरा कोई आश्रय नहीं है। <br />इस रहस्य को समझकर मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में संतुष्ट नहीं होना चाहिए।<br />असुरराज! पृथ्वी पर भी जितने स्थावर–जंगम प्राणी हैं, उन सबकी मृत्यु मुझे स्पष्ट दिखाई दे रही है।<br />आजगर गीता (श्लोक-11, 15)<br /><br />~ मृत्यु को सदा कैसे याद रखें?<br />~ मृत्यु किस बात का सूचक है? <br />~ व्यक्ति कब धार्मिक कहलाता है? <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~~~